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Tuesday, October 25, 2011

Friday, October 21, 2011

लिक्खा करे हैं ..तुम्हे रोज ही मगर... ख्वाहीशोन कें खत तुम्हें भेजेही नही,,,,,, एनक लगाके कभी पढनां वो चिठीया.. पल्कोन्के पानीमें रखना वो चिठीया,....तैरती नजर आयेगी जनाब.....